शिक्षा के प्रति विद्याथियों व अभिभावकों में जागरूकता की कमी

“शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों व अभिभावकों में जागरूकता की कमी” विषय शायद अटपटा सा लगे, परन्तु आज की वास्तविकता यही है |
आज प्रत्येक अभिभावक अपने बच्चों को दो साल में ही अच्छे से विद्यालय में भेजने को तत्पर रहता है ओर यह सोचता है कि अब उसका बच्चा होशियार या बुद्धिमान हो जायेगा अब  बच्चे के भविष्य की कोई चिंता ही नहीं | जबकि अभिभावक इस बात से अनजान हो जाते हैं कि उनका असली उत्तरदायित्व तो अब प्रारम्भ हुआ है |

आज का विद्यार्थी मेधावी, इनफार्मेशन टेक्नोलोजी में बहुत अधिक रूचि रखता है लेकिन 
सुसंस्कारित नहीं है| अच्छे संस्कारों को कमी के कारण उठाना,बैठना,बोलना,बड़ों का आदर सत्कार,माता-पिता व गुरुजनों के सम्मान में रूचि नहीं रखता | इन सबका कारण माता-पिता के समय अभाव का होना है | प्रत्येक माता –पिता यह उम्मीद करते हैं कि उनका बच्चा बेहतर शिक्षा ग्रहण करे, अच्छे संस्कार स्कूल में शिक्षक भी सिखाएं|
जब-जब अभिभावक यह कहता रहेगा कि बच्चों के लिए उनके पास समय नहीं है तब-तब बच्चों के प्रति हम अपनी जिम्मेदारी से दूर भाग रहे हैं। ऐसे में बच्चों को उनके दायित्व के प्रति केवल पढ़ाने मात्र से काम नहीं चलेगा। ऐसे बच्चे किशोर अवस्था तथा युवा अवस्था तक पहुंचते वे अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारण नहीं कर पाते जिस कारण उन्हें अपना जीवन नीरस लगने लगता है क्योंकि विद्यार्थी जो कुछ भी विद्यालय में सीख रहा है उसका अभ्यास न कराने पर वह प्रतिदिन अध्ययन के बोझ में दबता चला जायेगा, अंततः उसमें असत्य, हिंसा व बातों को छुपाने की कलाएँ विद्धमान होती जायेंगी |
जी. डी. गोएंका स्कूल इन सभी समस्याओं को समझता है तथा अपने उत्तरदायित्व तथा परिश्रमों द्वारा अपने विद्यार्थियों व अभिभावकों को समय समय पर बुद्धिजीवियों द्वारा परामर्श पर अत्युक्त प्रभावशाली ढंग से कार्यरत है |


                                                                  - मीना गुरुंग

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